मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के 250 वर्ष
माझगांव डॉक का इतिहास 250 वर्ष पुराना है। 1774 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के जहाज़ों की सर्विस के लिए मुंबई के माझगांव में एक छोटे निर्जल डॉक का निर्माण किया गया था। अगले 250 वर्षों में यह छोटा डॉक एक बहुत बड़े प्रगामी संगठन के रूप में विकसित हुआ, जिसे आज विश्व में माझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। विभिन्न समूहों के स्वामित्व में रहने के बाद इसे 1934 में निगमित किया गया था। अंततः वर्ष 1960 में भारत सरकार ने अपने युद्धपोत विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए इस डॉकयार्ड को अपने अधीन कर लिया तथा रक्षा मंत्रालय के तहत इसे एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के रूप में मान्यता दी।
ब्रिटिश नौसेना से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के तहत, छह लिएण्डर क्लास फ़्रिगेट्स के प्रारम्भिक ऑर्डर से लेकर, वर्तमान में कुछ प्रभावशाली विध्वंसक तथा पनडुब्बियां बनाने के ऑर्डर तक, डॉकयार्ड ने एक लंबा सफ़र तय किया है।
आज यह पूरे देश में युद्धपोत निर्माण यार्ड में सबसे प्रमुख तथा अग्रणी है। मिनीरत्न-अनुसूची-1 श्रेणी की यह कंपनी प्रभावी विश्व स्तरीय युद्धपोत तथा अन्य व्यावसायिक विमानों का निर्माण करती है। यह भारतीय नौसेना के लिए विश्व स्तरीय स्टील्थ फ्रिगेट, विध्वंसक और पनडुब्बियों का उत्पादन करती है।
माझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिडेट (एमडीएल), जहाज़ों, पनडुब्बियों तथा अन्य निर्मित किए जा रहे जलपोतो के निर्माण में निरंतर अंतर्देशीय सामग्री के प्रयोग को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका उद्देश्य भारत सरकार की “मेक इन इंडिया” पहल को वास्तविक रूप से सफल बनाना है। एमडीएल ने भारतीय नौसेना के लिए रक्षा उत्पान और पूंजीगत वस्तुओं के स्वदेशी निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पिछले कुछ वर्षों में कंपनी ने वर्ष 2014-15 के लिए “सर्वश्रेष्ठ शिपयार्ड” सहित विभिन्न श्रेणियों में कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं।
एमडीएल के पास किसी भी कार्यक्षेत्र से समझौता किए बिना घरेलू और निर्यात दोनों ऑर्डरों को एक साथ संभालने की क्षमता और योग्यता है। एमडीएल निर्यात के माध्यम से भू-रणनीतिक पहुंच को बढ़ाने तथा अंतर्राष्ट्रीय मांग को पूरा करने का प्रयास कर रहा है।