इंटरपोल की 90वीं महासभा और आज़ादी का अमृत महोत्सव संयोगवश एक ही समय पर आ रहे हैं। यह भारत और इंटरपोल दोनो के लिए ऐतिहासिक महत्व का अवसर है। भारत ने 2022 में अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने का उत्सव मनाया और इंटरपोल 2023 में अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरा होने का उत्सव मनाएगा।
संस्कृत वाक्यांश “वसुधैव कुटुम्बकम” के भारतीय दर्शन, जिसका अर्थ है “विश्व एक परिवार है”, के अनुरूप, इंटरपोल भी कानून प्रवर्तन के प्रति ऐसी सामूहिक दृष्टि की परिकरल्पना करता है, जो सभी सीमाओं की अवधारणा से परे हो।
इंटरपोल (अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन ) दुनिया का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय पुलिस संगठन है जिसका मुख्यालय फ्रांस के लियोन में स्थित है। 195 देश इसके सदस्य हैं। इसकी स्थापना 1923 में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस आयोग (आईसीपीसी) के रूप में की गई थी, और 1946 में, ‘इंटरपोल’ नाम का प्रयोग, एजेंसी के टेलीग्राफिक पते के रूप में प्रयुक्त किया जाने लगा। इसी नाम को वर्ष 1956 में इसके सामान्य नाम के रूप में चुना गया।
भारत सरकार 18-22 अक्टूबर 2022 तक नई दिल्ली में 90वीं इंटरपोल महासभा की मेज़बानी कर रही है। यह प्रक्रिया 2019 में शुरू हुई, जब इंटरपोल में राष्ट्रों के समूह ने भारत में महासभा की मेज़बानी के लिए उल्लासपूर्वक मतदान किया। तदनुसार, 2021 में, इस्तानबुल, तुर्की में आयोजित 89वीं इंटरपोल महासभा के अधिवेशन में इंटरपोल ध्वज भारत को सौंपा गया।
इस ऐतिहासिक घटना को स्मरणीय बनाने के लिए भारत सरकार 100 रुपये का स्मारक सिक्का जारी कर रही है। ये सिक्के लीगल टेंडर हैं और कीमती धातु के बने हैं। सिक्का संग्रहकर्ताओं में इनकी पर्याप्त मांग तथा न्यूमेसमेटिक मूल्य है।
इंटरपोल और इंटरपोल महासभा 2022 के प्रतीक चिन्हों को स्मारक सिक्के की पृष्ठभूमि में देखा जा सकता है। अपने दृष्टांत प्रतीक के रूप में इंटरपोल की 90वीं महासभा, जो नई दिल्ली में 18 से 21 अक्टूबर, 2022 तक आयोजित होने वाली है, के प्रतीक चिह्न के केंद्र में “कोणार्क चक्र” है। इंटरपोल की प्रतिबद्धता और जुडाव के परिप्रेक्ष्य में देखा जाये तो प्रतीक चिन्ह में ‘कोणार्क चक्र’ इंटरपोल के 24x7 कार्यबद्ध रहने को प्रदर्शित करता है। यह चक्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रंगों वाले तीन पत्तियों के सदृश्य आकृतियों से घिरा है, जो संरक्षण के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता और कानून प्रवर्तन लक्ष्यों की प्राप्ति को दर्शाते है।
90 वीं महासभा की मेज़बानी करना राष्ट्र के लिए गर्व की बात है।