सशस्त्र सेना चिकित्सा महाविद्यालय (एएफएमसी), पुणे एक प्रमुख चिकित्सा संस्थान है, जिसे शिक्षा, अनुसंधान और रोगियों की देखभाल के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। इसे 01 दिसंबर, 2023 को प्रेसिडेंट कलर प्रदान किया गया। इसकी स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद श्री बी. सी. रॉय कमेटी की सिफारिश पर मई 1948 में एक स्नातकोत्तर शिक्षण संस्थान के तौर पर की गई थी। भारतीय सशस्त्र सेनाओं में चिकित्सा स्नातकों को प्रशिक्षित करने के लिए 04 अगस्त, 1962 को एएफएमसी के साथ स्नातक विंग को जोड़ा गया। यह संस्थान सशस्त्र सेनाओं के लिए स्पेशलिस्टों और सुपर स्पेशिलस्टों के समूह को प्रशिक्षित करने की दिशा में अहम भूमिका निभाता है जो सैनिकों, सेवानिवृत्त सैनिकों और उनके परिजनों को दी जाने वाली चिकित्सा देखभाल की गुणवत्ता को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।
एएफएमसी भारतीय सशस्त्र सेनाओं के लिए चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने वाली उत्कृष्टता की स्थायी आधारशिला के रूप में स्थित है। पिछले सात दशको में, इस विशिष्ट संस्थान ने अपने मूलमंत्र, “सर्वे संतु निरामया” के साथ डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य देखभाल हेतु प्रशिक्षित कर्मियों को प्रशिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जो सशस्त्र सेनाओ की संबंधित जरूरतों को पूरा करने हेतु गुणत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा पर बल देता है।
अपने अतुल्य योगदान के लिए ख्याति प्राप्त, एएफएमसी निरंतर शीर्षस्थ मेडिकल कॉलेजों में अग्रणी के तौर पर गिना जाता रहा है। इसे राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) ने इसे देश में किसी भी चिकित्सा संस्थान को अब तक दी गई सर्वोच्च रेटिंग प्रदान की है, जो इसकी शैक्षणिक विशेषज्ञता को प्रदर्शित करती है।
संस्थान के पूर्व छात्रों में स्वास्थ्य सेवा, कला और खेल जैसे विविध क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हैं। कॉलेज के पूर्व छात्रों को कई प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें डॉ. महाराज के. भान को पद्म भूषण, डॉ. अरविंद लाल और डॉ. अशोक राजगोपाल को पद्म श्री और डॉ. ओटिलिया मस्कारेनहास को अर्जुन पुरस्कार शामिल हैं। कॉलेज ने कई बेहतरीन खिलाड़ी दिए हैं, जिनमें लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र सिंह ने कोलंबो में एशियाई खेलों में ट्रिपल जंप में स्वर्ण पदक जीता था, लेफ्टिनेंट जनरल सुसैनथन एंथनी क्रूज मॉन्ट्रियल ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे, डॉ. ओटिलिया मस्कारेनहास ने भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तानी की थी।
शांतिकाल के दौरान,एएफएमसी चिकित्सा, नर्सिंग, दंत चिकित्सा और पैरामेडिकल विषयों में स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को शिक्षित और प्रशिक्षित करने में खुद को समर्पित करता है। वहीं युद्ध काल में, संस्थान की फैकल्टी सर्जिकल टीमों को तैनात कर विभिन्न क्षेत्रों की चिकित्सा यूनिटों और अस्पतालों में चिकित्सा प्रदान करने की अपनी क्षमताओं को मजबूत कर अपनी ऑपरेशनल प्रतिबद्धताओं के प्रति सक्षम रहती है।
कॉलेज सक्रिय तौर पर चिकित्सा अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है जिसमें फैकल्टी के साथ छात्र राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं, पाठ्यपुस्तकों, मैनुअल और दिशानिर्देशों के प्रकाशन कार्यों में अहम योगदान देते हैं। खास तौर से, एएफएमसी डीजीएएफएमएस की ओर से दो मेडिकल शोध पत्रिकाओं को प्रकाशित करने के लिए ख्याति प्राप्त है जो इसे विद्वत प्रकाशनों में अपने योगदान के लिए प्रतिबद्ध उन चुनिंदा संस्थानों में से एक बनाता है।
भारत के राष्ट्रपति द्वारा सशस्त्र सेना चिकित्सा कॉलेज, पुणे को प्रेसिडेंट कलर से सम्मानित किए जाने का गौरव इसकी अतुल्य सेवा का प्रमाण है जो सशस्त्र सेना कर्मियों को प्रशिक्षित करने में इसकी अहम भूमिका और भारत में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में इसके महत्वपू्र्ण योगदान को रेखांकित करता है।